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ढाई बजे की लोकल ट्रेन छूटने ही को थी। हमारी ट्रेन उसके बाद जाती थी। इसी समय एक प्रौढ़ अवस्था का दरिद्र भला आदमी एक हाथ में तरह-तरह की हरी तरकारियों ...